Saturday, August 24, 2024

नवोदय!

 अब जीवन मैं नवोदय हो,

उमंग का परिचय हो

जो निराकार हो चुके थे स्वप्ना,

अब उनसे परिणय हो!


प्रश्नावली के आखिरी प्रश्न,

का मुझ पर अब उत्तर हो!

संवादों की भूल भुलैयाँ मैं,

स्पश्टता का स्वर हो !


सोते हुए समय मैं,

कुछ बेचैनी पैदा हो,

ख्वावों मैं हो हलचल 

अब  जल्दी सुबह हो !


खो गए थे जो परिंदे,

मंज़िल उन्हें पता हो,

हवा के रुख मैं, हो दिशा 

बस आशा ही आशा हो !

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