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जब चारो और लगे अन्धकार,
जीवन लाचार,
जैसे हर पल होता प्रहार!
कठिन पथ,
उस पर समय का बढ़ता भार
समझ लेना ,मंजिल है पास,
नया सूर्योदय होने को है,
इस पराकाष्ठा के पार!!
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