Saturday, July 31, 2021

मित्रता के रंग!

मित्रता के अनेको रंग,

कोई अतरंग, कुछ बदरंग!

 

एक मित्र ऐसा,

सुदामा हो जैसा!

हो मैला कुचैला ,

पर प्रेम मैं पहला!!

 

एक मित्र ऐसा,

शकुनि के जैसा!

बोल मीठे मीठे,

तो काट पीठ पीछे!!

 

एक मित्र ऐसा,

कर्ण हो जैसा!

तुमको रखे पूरा,

खुद रहके अधूरा!!

 

एक मित्र ऐसा,

बुद्धा सा जैसा!

प्रेम का मंथन,

आत्मा की गुंजन!!

 

रंग जैसा भी हो,

हाल कैसा भी हो!

ढूंढ लेना तुम मुझे,

मित्र ऐसा ही हो!!

 

 

 

 

Thursday, July 29, 2021

बचपन की बोली!

                    

बचपन की बोली,

वह हसीं ठिठोली!

मित्रों के संग,

कुछ आँख मिचोली!!


कागज़ की नाव,

सपनो की डोली!

मटकाते रंग,

मासूम सी होली!!


चेहरे की दमक,

आँखों की चमक!

तोतली बातें,

वह दिल की सड़क!!


अल्हड़ खेल,

चहकते बोल!

तो फिर तभी,

सहमते ढोल!!


माथे पे मेरे,

बचपन की रोली!

रोली पोली,

बचपन की बोली!!