बचपन की बोली,
वह हसीं ठिठोली!
मित्रों के संग,
कुछ आँख मिचोली!!
कागज़ की नाव,
सपनो की डोली!
मटकाते रंग,
मासूम सी होली!!
चेहरे की दमक,
आँखों की चमक!
तोतली बातें,
वह दिल की सड़क!!
अल्हड़ खेल,
चहकते बोल!
तो फिर तभी,
सहमते ढोल!!
माथे पे मेरे,
बचपन की रोली!
रोली पोली,
बचपन की बोली!!
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