मित्रता के अनेको रंग,
कोई
अतरंग, कुछ बदरंग!
एक मित्र ऐसा,
सुदामा
हो जैसा!
हो मैला कुचैला ,
पर प्रेम मैं पहला!!
एक मित्र ऐसा,
शकुनि
के जैसा!
बोल
मीठे मीठे,
तो काट पीठ पीछे!!
एक मित्र ऐसा,
कर्ण
हो जैसा!
तुमको
रखे पूरा,
खुद
रहके अधूरा!!
एक मित्र ऐसा,
बुद्धा
सा जैसा!
प्रेम
का मंथन,
आत्मा
की गुंजन!!
रंग
जैसा भी हो,
हाल
कैसा भी हो!
ढूंढ
लेना तुम मुझे,
मित्र
ऐसा ही हो!!
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