Saturday, August 5, 2023

Bharat...!

 भारत सिर्फ एक देश नहीं,

गणतंत्र मैं बंधा परिवेश नहीं।  

यह मानवता की मातृभूमि,

यहाँ रंग अनेक, पर द्वेष नहीं!


विज्ञान यहाँ, संज्ञान लिया,

गणित को शुन्य यहीं मिला,

सौर को हमने जाना तब,

जब विश्व था पलकें खोल रहा!


यहाँ संस्कृत थी, और संस्कृति भी,

वेद भी थे , और विवेक भी!

स्वस्थ समाज की रचना करती,

रचिंत यहीं, चरक संहिता थी !


गौरव पूर्ण इतिहास से सज्जित, 

यह भारत की माटी है,

गाँधी सुभाष के बलिदानों से,

सवरी इसकी काँठी है!


पर भूल गए कुछ लोग यहाँ,

भारत की परिमल, इस गाथा को,

जले मणिपुर, लड़े हरियाणा,

बस लांघ रहे मर्यादा को!


यह भारत है जिसने, विश्व को,

सदा मानव प्रेम सिखाया है, 

गंगा जमुनी तहजीब से हमने, 

एक राष्ट्र प्रबल बनाया है!


आओ फिर गुंथे उन यादों  को,

संवेदना की उन स्वाशों को ,

फिर, अब्दुल और अमर, मिलकर

सुलझाए विश्व की  गांठों को! 


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