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मैं हूँ बनिया,
बस करू निवेश।
जब बदली दुनिया ,
तब बदला भेष!
मोहोरों की चाहत,
सोने की नगरी,
नाना प्रकार की,
चांदी की गगरी।
नई भाषा, अज्ञात वोह लोग,
मिल बैठे संग जो पैसे की झोक।
भूल के दुरी, नए सम्बन्ध बनाने,
मैं चला व्यापारी, दुनिया बहकाने!
...ankur
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