Wednesday, September 19, 2007

कुठे अपिल आणि तक्रारी करा ??

क्या एक नयी कब्र खोदने का समय आ गया है????

गति मान वायु ,ज्वलनशील अग्नी और स्थिर धरातल ,कदापि चंचलता अथवा आलस से ग्रसित हो,अपनी भीषणता को दाव पर रख दे तौ कल्पना कीजिये कि यह प्रकृति किस दिशा औंधे मुह गिरेगी । कोटी-कोटी जीवंलिलाये क्षण भर मैं ही द्यूत क्रीडा के आसान से बहिष्कृत हो ,व्यंगों कि तीर सहने को बाद्य हो जाएँगी ।


हास-परिहास कि इस बेला पर मात्रा जीवन ही हसी का पात्र बनेगा। पराजित ,नग्न एवं पर-नमित यह जीवन गाथा महज प्रकृति कि छलित उदासीनता को कोस कर ही बिखरे छंदों पर शानिक मरहम लगा सकती है।


उधर प्रकृति को भी भारीपन का परिचय देते हुए अपनी इस धूमिल होती छ्वी को इतिहास बन्ने से रोकते हुए नवीन प्रसूनो से इस परिवेश को फिर से अच्छादित करना होगा।





आज मेरे रास्त्र मैं फिर पतझर का मौसम छाया है। रास्त्र रूपी उद्यान के माली विलास्ता के दल-दली प्रवास मैं है.या कहीँ विलासता के इस मौखोते के पीछे कोई और दानव तौ सांस नही भर रहा ?


कुछ भी हो, इस माटी के पुष्प मुरज्हा रहे है .हाँ कुछ काटें अभी जीवित से लगते है .उन्ही काटों कि चुभन मैं आपको चोभोना चाहता हूँ। अगर आपको मात्र भर भी कष्ट हुआ तौ निश्चित सुशुप्त दोगुले प्रांगन मैं कुछ सजीव कोपले बची है। जुडे ! हम स्वयम इस उद्यान का स्वामित्व ले इन दुबकी kopalon को ढूँढ निकाल ,सजीवता रंगों से ,यहीं, पुनः एक होली खेले ।

पर पहले आपको जगा तौ लूँ:-

भारत के अग्रणी राज्य होने का दम भरने वाले महारास्त्र के "राज्य माहिती आयोग" कि वेबसाइट पर जरा जाये।
वहाँ आपको एक एक कब्रिस्तान का सा अनुभव होगा। हाँ एक मंत्री महोदय जो शायद यहाँ के रखवाले है "सॉरी फ़ॉर इन्कोन्वेनिएंस" का खेदजनक बोर्ड हर चिन्हित कब्र पर लगाते हुए जरुर दिख जायेंगे।
जरा देखे :-

आब क्या करना चाहियें....क्या एक नयी कब्र खोदने का समय आ गया है????

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