Sunday, October 26, 2008

दीपक...

दीप दिवाली, मगन यह क्यारी,
गोलाव्रती प्रकाशित ज्वाली।
उष्म केश, निम्न अवशेष।
जोश जगाती, माटी की प्याली।

....ankur

No comments: